मूलतः लिंगतोभद्र चक्र में भगवान शिव के परिकरों, परिच्छदों, आयुधों, आभूषणों का ही पूजन किया जाता है। इससे भगवान आशुतोष प्रसन्न होते हैं और साधक के अभीष्ट की सिद्धि होती है। साथी ही उनके अनुग्रह से उपासक को शिव सायुज्य भी प्राप्त हो जाता है।
descriptions
reviews
Discription
मूलतः लिंगतोभद्र चक्र में भगवान शिव के परिकरों, परिच्छदों, आयुधों, आभूषणों का ही पूजन किया जाता है। इससे भगवान आशुतोष प्रसन्न होते हैं और साधक के अभीष्ट की सिद्धि होती है। साथी ही उनके अनुग्रह से उपासक को शिव सायुज्य भी प्राप्त हो जाता है।